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जैसे जैसे भारत लोकडाउन में लगी पाबंदियों को सिलसिलेवार तरीके से हटा रहा है, इस से ट्रांसपोर्टर आने वाले हफ्तों में ट्रकों की आवाजाही बढ़ने की उम्मीद लगा सकते हैं। मई में जब कुछ हद तक लोकडाउन से राहत मिली थी तो 30%-35% ट्रक फिर से काम पर लौट आये थे। अप्रैल के मुकाबले मई में माल ढोने वाले ट्रकों की संख्या दोगुनी हो कर 22-25 लाख तक पहुंच गई थी। मई में ट्रकों की आवाजाही बढ़ने के पीछे मुख्य कारण जरूरी चीजों की निरंतर डिमांड बने रहना था और सप्लाई चेन द्वारा उस डिमांड को आराम से पूरा भी किया गया।
ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (TCI), जो कि 12000 ट्रक इस्तेमाल करती है (जिनमें से 2000 पर उसका मालिकाना हक है) और भारत की सबसे बड़ी लोजिस्टिक्स कंपनी है, ने भी अपने अनुमान जारी किए हैं। TCI के मुताबिक जून अंत तक 50%-70% ट्रक वापिस से इस्तेमाल में लौट सकते हैं।
जून में ट्रक डिमांड बढ़ने के कुछ सकारात्मक संकेत और इसकी वजहें इस प्रकार हैं:
- अनलॉक 1.0 के साथ पूरे देश में औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं, इस से ट्रकों की डिमांड बढ़ना लाज़मी है।
- खरीफ की फसलों की कटाई चल रही है। अच्छी फसल से ज्यादा ट्रकों के इस्तेमाल होने की संभावना बढ़ जाती है।
- पैसेंजर कार और दुपहिया वाहन उद्योग अपनी निर्माण क्षमता को 10%-15% से बढ़ाकर 25%-30% करने की सोच रहे हैं। इस से ट्रकों की आवाजाही बढ़ सकती है।
- ICICI सिक्योरिटीज के 5 जून को जारी कोविद रिकवरी पल्स नोट के मुताबिक ऑटो रिटेल रजिस्ट्रेशन, जो कि ज़मीनी डिमांड भांपने का मानक है, पिछले 10 दिनों में बढ़कर कोरोना से पहले के मुकाबले 30% तक चली गई है। यह डिमांड में संभावित बढ़ोतरी की शुरुआत का संकेत है।
- यही नहीं मई में कुल 2 करोड़ 60 लाख ई-वे बिल बनाये गए, जो कि कोरोना से पहले के महीनों (अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक) की मासिक औसत 5 करोड़ 50 लाख का 46% है। अप्रैल में यहीं आंकड़ा 16% था। इसे देखते हुए जून में और सुधार की उम्मीद लगाई जा सकती है।
व्हील्सआई का ट्रक मालिकों से कहना है कि जून के महीने में व्यापार में और सुधार की उम्मीद लगाए रखें।
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