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लोकडाउन के बाद किस रफ्तार से अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी जल्दी देश में उपभोक्ता डिमांड में बढ़त देखी जाती है। पाबंदियां हटने के बाद सप्लाई चेन एवं लोजिस्टिक्स तंत्र की ओर से शीघ्र वापसी की उम्मीद है। इस से डिमांड के लिए पर्याप्त मात्रा में सप्लाई मिलने की उम्मीद है।
महामारी के भीषण प्रभाव के कारण डिमांड का तेजी से लौट पाना मुश्किल जान पड़ता है। उदाहरण के लिए अप्रैल में ऑटोमोबाइल डिमांड कई जगह शून्य तक चली गई। शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था के ज्यादा जल्दी वापसी करने की उम्मीद है। मनरेगा (MNREGA) के अंतर्गत किये भुगतान की वजह से हुई आय वृद्धि से यह संभव हो सकता है। मुख्य शहरी केंद्रों में ज्यादा कोरोना के मामलों के चलते अभी भी बड़े स्तर पर गतिविधियाँ नहीं देखी गई हैं।
ट्रांसपोर्ट गतिविधियों में उछाल से डीजल की खपत बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि डीजल की कुल खपत में से 60%-70% ट्रकों में ही होती है।
अनलॉक चरण 1.0 में कुछ नियंत्रित उपभोक्ता डिमांड में बढ़त देखी जा सकती है, जिस से बिक्री और इसके कारणवश ट्रक डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। व्हील्सआई की ट्रक मालिकों को राय है कि धैर्य रखें – डिमांड में कुछ बढ़त जरूर होगी, मगर डिमांड में स्थायी बढ़त के लिए अभी कुछ समय और इंतज़ार करना पड़ सकता है।