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जैसे जैसे लोकडाउन का दूसरा चरण खात्मे की ओर बढ़ रहा है, कोविद-19 से भारत की लड़ाई जारी है। जहाँ एक तरफ अधिकांश भारतीय अपने घरों में हैं, वहीं दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टरों, ट्रक मालिकों और खास तौर से ट्रक ड्राइवरों की कड़ी मेहनत की बदौलत जरूरी सामान की सप्लाई बदस्तूर जारी है। पिछले चार हफ्तों में जरूरी सामान की सप्लाई की सुनिश्चित करने की खातिर सरकार ने ट्रकों की आवाजाही आसान करने के लिए कई महत्वूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें येे शामिल हैं:
- खाली व भरे ट्रकों को 2 ड्राइवरों और 1 हेल्पर के साथ चलने की इजाज़त देना
- ट्रक ड्राइवरों के ड्राइविंग लाइसेंस को ट्रक पास का दर्जा देना
- घरों से ट्रक तक पहुंचने के लिए ड्राइवरों की मूवमेंट की इजाज़त देना
- हाइवे पर ट्रक रिपेयर की दुकानों व ढाबों को खुलने की इजाज़त देना
(इन दिशा निर्देशों पर हमारा लेख आप यहाँ पढ़ सकते हैं: https://help.wheelseye.com/hi/posts/1565/)
सरकार के ‘अधिकार प्राप्त समूह 5’ (एंपावर्ड ग्रुप 5) के मुताबिक 25 अप्रैल तक यह रही प्रोग्रेस
ट्रांसपोर्ट समुदाय का हिस्सा होने के कारण ट्रक मालिकों के लिए ऊपर लिखे कदमों के असर के बारे में जानना महत्वपूर्ण है। 27 अप्रैल को एंपावर्ड ग्रुप 5 ने जरूरी चीजों की सप्लाई को दिखाने वाले मुख्य आंकड़ों में आए सुधारों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की। 30 मार्च से 25 अप्रैल के अंतराल से जुड़े उम्मीद बढ़ाने वाले कुछ आंकड़ें इस प्रकार है:
- दो जरूरी चीजों, खाद्य पदार्थों व दवाइयों, की मूवमेंट में खासी बढ़त आई है। खाद्य पदार्थ व दवाइयों की सप्लाई करने वाले ट्रकों की आवाजाही 46% से बढ़कर 76% हो गई है।
- रेलवे की माल ढुलाई 67% से बढ़कर 76% हो गई है।
- लोजिस्टिक्स की दृष्टि से अहम माने जाने वाले बंदरगाहों पर आवाजाही 70% से बढकर 87% हो गई है।
- मुख्य रूप से खुली मंडियों की संख्या 61% से बढ़कर 79% हो गई है।
खाद्य पदार्थ व दवाइयों की सप्लाई करने वाले ट्रकों की आवाजाही में 46% से 76% की बढ़ोतरी एक बेहद अहम आंकड़ा है जिस से ट्रक मालिकों को जरूर उम्मीद मिलनी चाहिए। सरकार के मुताबिक आवाजाही अब भी बढ़ रही है और आने वाले दिनों में और भी सुधार की आस लगाई जा सकती है।
ट्रांसपोर्ट उद्योग से जुड़े लोगों की ओर से ज़मीनी रिपोर्ट
जहाँ सरकारी आंकडें उम्मीद जगाते हैं, वहीं उद्योग से जुड़ी संस्थाओं जैसे आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कोंग्रेस (AIMTC) की रिपोर्ट कहती हैं कि देश के 50 लाख ट्रकों में से 16%-17% ट्रक पिछले दो दिनों में सड़क पर चले हैं। फास्टैग डेटा के आधार पर AIMTC का अंदाज़ा है कि तकरीबन 2.5 लाख नेशनल परमिट वाले कॉमर्शियल ट्रक पिछले 2 दिनों में सड़क पर दौड़े है ।
ट्रक संस्थाओं की ओर से उठाए गए कुछ अन्य मसले हैं:
- कारखाने व वेयरहाउस बंद होने की वजह से डिमांड में कमी और लोडिंग / अनलोडिंग के लिए इजाज़त ना मिलना
- ट्रक में पड़े सामान की जिम्मेदारी न ले कर फैक्ट्री मालिकों द्वारा ट्रक को वेयरहाउस की तरह इस्तमाल करना
- केंद्र सरकार के नियमों का लोकल स्तर पर अच्छे से लागू न किया जाना – लोकल अधिकारियों द्वारा ड्राइवरों का उत्पीड़न और कर्मचारियों को जबरन क्वारंटाइन करना।
निष्कर्ष
हमने पहले लिखा था कि किस तरह हालात सुधरने के बाद चीन के ट्रांसपोर्ट उद्योग में तेजी से वापसी देखी गई – https://help.wheelseye.com/hi/posts/1137/
ज्यादा जटिल देश होने के बावजूद भारत में भी सुधार देखे गए। एक और आंकड़ा भारत के कोरोना से उबरने की ओर इशारा करता है – पिछले 14 दिनों में (27 अप्रैल तक) 85 जिलों में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया।
जैसे जैसे और अधिक जिले कोरोना से मुक्त हो रहे हैं, सारा व्यापारी समुदाय और खासकर, ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोग वापसी की उम्मीद रख सकते हैं। सब कुछ देखकर यही लगता है कि ट्रकों की आवाजाही निश्चित ही और भी बढ़ेगी। जैसे जैसे मंडियां, कारखाने और वेयरहाउस खुलेंगे, ट्रक मालिक ट्रकों की डिमांड बढ़ने की आस लगा सकते हैं।
व्हीलसआई की राय है कि ट्रक मालिक ऐसी बढी डिमांड के लिए तैयार रहें। हमेशा की तरह हम आपकी हर संभव मदद करने को तैयार हैं।
लोकडाउन में ट्रक की देखभाल कैसे करनी है, इसके बारे में हमारे विशेषज्ञों द्वारा लिखा लेख यहां पढ़ें – https://help.wheelseye.com/hi/posts/2603/
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Jo truck lord hai one month se us ki kiya home koi holding charge mulga ya nhi btana aap hm