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कोविद-19 लॉकडाउन ने भारत की अर्थव्यवस्था पर लगाम दी है, जिसका खामियाज़ा ट्रांस्पोर्ट उद्योग को भी भुगतना पड़ा है | ऐसे वक्त पर ट्रक मालिकों का धंधे की वापसी के बारे में चिंता करना लाज़मी है | सभी के मन में सवाल हैं कि कैसे और कब वापसी होगी, और अगर जल्दी हुई भी तो किस रफ़्तार से होगी |
कोविद-19 के बाद उभरी चीन के ट्रांस्पोर्ट उद्योग की तस्वीर देखकर जरूर कुछ राहत मिलती है | चीन के सबसे अधिक कोरोना प्रभावित इलाके से आ रही खबरें यह साफ़ साफ़ दिखाती हैं कि चीन का ट्रांस्पोर्ट उद्योग वापिस से पुराने स्तर पर आने की ओर कदम बढ़ा चुका है |
फरवरी के आखिरी दो हफ़्तों में जब कोरोना चीन में अपने चरम पर था, तो डिलीवरी क्षमता सामान्य स्तर के मुकाबले महज 10-15% ही रह गई थी | भारत का भी तकरीबन यही हाल इस वक्त है | ऐसा होने के पीछे दो वजहें थीं:
- निर्माता अपनी क्षमता से आधा ही सामान बना रहे थे
- काफी कंपनियों के कर्मचारी, जिनमें डिलीवरी कम्पनियाँ भी शामिल हैं, बचाव कारणों के चलते अपने-अपने घरों में थे
मगर जैसे ही बीमारी पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया, तो स्टेट पोस्ट ब्यूरो के एक सीनियर अफसर ने सुखद रूप से चौंकाने वाले ये आंकड़ें 6 मार्च को सांझा किये:
- डिलीवरी क्षमता बढ़कर सामान्य के 80% के स्तर तक जा चुकी थी | रोजाना 16 करोड़ पार्सल हैंडल हो रहे थे | वह उम्मीद कर रहे थे कि क़रीब 15 मार्च तक हूबे (चीन का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित इलाका) के अलावा सारे देश में डिलीवरी क्षमता वापिस अपने पुराने स्तर तक चली जाएगी
- 90% से ज्यादा डिलीवरी कंपनियों के कर्मचारी, यानि 30 लाख लोग, वापस काम पर आ चुके थे
वेबसाइट G7.com पर मिले डाटा के मुताबिक़, 11 मार्च (चीनी नए साल के 47 दिन बाद) तक फुल ट्रक लोड डिलीवरी क्षमता नवम्बर 2019 के सर्वाधिक स्तर के मुकाबले 72% तक थी | 2019 में चीनी नए साल के 25 दिन बाद यह आंकड़ा 95% था | नीचे दिया गया ग्राफ यह दिखाता है कि कुछ देरी के बावजूद, डिलीवरी क्षमता अपने पुराने स्तर की वापसी की ओर कदम बढ़ा रही है |

जानी मानी ट्रांसपोर्ट कंपनी ZTO का अनुमान देखकर और अधिक आशा बढ़ती है | इसके अनुसार जून में ख़त्म होने वाले 2020 के पहले आर्थिक तिमाही तक कुल पार्सल वोल्युम 2019 के स्तर से भी ज्यादा होगी | यही नहीं, साल 2020 में 2019 के मुकाबले 15% बढ़ोतरी के कयास लगाए जा रहे हैं |
डिलीवरी क्षमता में आयी तेज़ वापसी जहाँ एक ओर चीन की सरकार और इसके उद्योग जगत की कुशलता का सबूत है, वहीं दूसरी ओर इस से यह भी पता चलता है कि कोविद-19 फैलने के बाद से वहाँ डिमांड मजबूत ही रही है | ऐसे में यह उम्मीद लगाना जायज़ है कि भारत में डिमांड और भी मजबूत होगी जिस से भारत का ट्रांस्पोर्ट उद्योग भी कुछ ऐसी ही वापसी करेगा |
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक जनवरी और फरवरी के दौरान ऑनलाइन बिक्री में पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 3% गिरावट आई, जबकि बाज़ारू बिक्री में 3% की बढ़त हुई | गैर-जरूरी सामान जैसे कपडे, कॉस्मेटिक, ज्वेलरी, ऑटोमोबाइल और घरेलु उपकरण (टीवी, फ्रिज वगैरह) की बिक्री में जरूर गिरावट देखी गई मगर बाज़ारू बिक्री में आई उम्मीद से ज्यादा बढ़त भारत में भी ऐसा ही कुछ होने की ओर इशारा करते हैं और आशा बढ़ाते हैं |
वर्तमान हालात पर व्हील्सआई का रुख – उम्मीद करें कि हालात जल्द बेहतर होंगेअच्छा वक्त उम्मीद से भी ज्यादा जल्दी वापिस आ सकता है | जब भी लॉकडाउन हटता है, भारत के मिडल क्लास और ऊपरी तबके की तरफ से रिटेल डिमांड (खासकर ऑनलाइन) में बढ़त देखी जा सकती है | यह आपके ट्रक्स को वापिस सड़क पर दौड़ाने में कारगर हो सकता है | यदि चीन एक हफ्ते के अंदर डिलीवरी क्षमता को वापिस 80% तक ले जाने का माद्दा रखता है, तो यकीन मानिये भारत भी पीछे नहीं रहेगा |
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